Friday, January 9, 2009

इस शोकगीत में कोई नायक नहीं!

आमतौर पर शोकगीत महानायकों के लिखे जाते हैं...गाए जाते हैं...उनके नहीं जिनका गुजरना आपके हमारे जीवन को कहीं से रत्ती भर भी नहीं छूता....
लेकिन उस तस्वीर में ऐसी बात नहीं थी....तस्वीर अखबारों मे छपी थी....वो जो टाइम्स के एशियाई हीरो की लिस्ट में कभी शुमार था...उसी का पार्थिव शरीर पटना में उस सीली सर्द सुबह कमरे में फर्श पर रखा था...सिरहाने टेलीफोन...पास में बिलखती पत्नी और बच्चे... और एकआध रिश्तेदार....
तस्वीरें सच बयां करती हैं...औऱ कभी-कभी समय का ठंडा औऱ भयावह चेहरा दिखाती हैं...पता नहीं क्यों उस सुबह ये तस्वीर भी मुझे कुछ ऐसा ही अहसास करा गई।
ये तस्वीर गौतम गोस्वामी की थी....आईएएस ऑफिसर गौतम गोस्वामी...एक ऐसा शख्स जिसके करिअर की शुरुआत सुनहरी हुई, लेकिन अंत बेहद त्रासद।
पटना के पूर्व डीएम गौतम गोस्वामी...जिन्होंने एक समय आडवाणी को भरी सभा में वक्त की पाबंदी याद दिलाते हुए रैली खत्म करने पर मजबूर कर दिया था...लेकिन यही तेज़ तर्रार अफसर जब बाढ़ घोटाले में घुटनों तक सन गया तब बेआबरू होकर नौकरी छोड़नी पड़ी...हालांकि बाद में नौकरी में वापसी हुई....लेकिन तब तक गौतम गोस्वामी के लिए जिंदगी के मायने बदल चुके थे....सुनहरा करिअर पीछे छूट चुका था...और पैनक्रियाटिक कैंसर हर पल जिंदगी को निगल रहा था....
गौतम गोस्वामी की ये तस्वीर महज तस्वीर नहीं थी....ये वक्त का बड़ा ही अजीबोगरीब हिसाब था...जिसकी उधड़ती परतों में ये भयानक सच झांक रहा था कि कैसे कोई हीरो अचानक खलनायकों में तब्दील हो जाता है....आखिर क्या हालात रहे होगें....क्या भ्रष्ट होती राजनीतिक व्यवस्था या फिर इंसान का खुद का अपना लालच...
इन वजहों पर जाने का कोई मतलब नहीं क्योंकि गौतम गोस्वामी इन तमाम दलीलों, तर्कों और सवाल-जवाबों को पीछे छोड़ चले गए हैं....बाकी बच गई है तो वो तस्वीर जिसमें पटना की उस सीलन भरी सुबह का सर्द कर देने वाला रोजनामचा दर्ज था...

5 comments:

Udan Tashtari said...

एक ही व्यक्ति-हालात जो न बनवा दें.

anuradha srivastav said...

एक नायक का खलनायक की तरह पहचाना जाना निःसंदेह कई सवाल उठाता है। प्रभु आत्मा को शांति व परिजनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।

Ravi Buleiy said...

Ise liye shayad NIDA FAZALI sahab ne kaha hai... Har aadmi main hote hain dus bees aadmi/jisko bhi dekhna ho kai baar dekhna...

atit said...

कहते हैं जो तेज़ जलता है वो जल्दी बुझता है, जो तेज़ दौड़ता है वो जल्दी थकता है। गौतम गोस्वामी की शुरुआत अच्छी हुई थी। पर वो रफ़्तार से भी आगे निकल जाने की कोशिश करने लगे थे।
दूसरी बात, उगते सूरज को ही दुनिया सलाम करती है। ये सबक गौतम गौस्वामी के पार्थिव शरीर की वो तस्वीर हमें याद दिलाती है। एशिया के हीरो के तौर पर तो उनकी ख़बर याद है। पर मौत की ख़बर मालूम होने पर भी मैने दरगुज़र कर दी थी। अब वो एशिया के हीरो जो नहीं रहे थे।
सबक सबके लिए...

NiKHiL AnAnD said...

गौतम गोस्वामी की जिंदगी आज के समय की एक क्रूर हकीकत बयां करती है / हमारी पीढी के लिए ये उदहारण बड़ा ही सटीक है / एक विवादित शख्सियत को एक बेहतरीन श्रद्धांजलि दी है.....अच्छा लिखा है आपने /