Thursday, November 25, 2010
जब तक रहेगा समोसे में आलू...
बुलबुला फूटा तो इसके फूटने की आवाज़ नहीं थी, शोर था लेकिन उस जश्न का जो बिहार में जेडी-यू और बीजेपी के कार्यकर्ता मना रहे थे। नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग ने एक दौर में उनके साथी रहे लालू यादव के माई (यानी एमवाई= मुस्लिम यादव) समीकरण के ऐसे धुर्रे उड़ाए कि कारवां गुजर गया और लालू गुबार देखते रहे। एक अभिशप्त नायक की तरह पराजित लालू जब मीडिया के सामने आए तो उनके सामने बोलने के लिए कुछ भी नहीं था। यहां तक कि वो सौजन्यता और बड़प्पन भी नदारद थी जिसकी उनके सरीखे बड़े नेताओं से उम्मीद रखी जाती है। हार को गरिमा से स्वीकार करने के बजाय वो नीतीश-बीजेपी की जीत में रहस्य के सूत्र तलाशते नज़र आए।
लालू की राजनीति का मर्सिया तो अरसा पहले पढ़ा जाने लगा था..लेकिन हर बार लालू इन मर्सियों को अपने स्टाइल में खारिज करते रहे...लेकिन इस बार नतीजों ने उन्हें जिस तरह से खारिज किया...उसके बाद तो वापसी की कोई गुंजाइश तभी मुमकिन है जब कोई बड़ा चमत्कार हो जाए, लेकिन पॉलिटिक्स में चमत्कार नहीं होते,
लालू का इस तरह मटियामेट होना उन तमाम लोगों के लिए बहुत दुखदायी होगा जिन्होंने एक समय जेपी के 'प्रतिभाशाली' चेलों में शुमार लालू में अनंत संभावनाएं देखी थीं, लगता था गांव गंवई के बीच से आया ये आदमी बिहार को समझेगा, दबे-कुचलों का संबल बनेगा, हारे लोगों की जीत का नायक बनेगा, लेकिन इन सपनों को लालू ने अपनी सत्ता के दिनों में किस तरह पलीता लगाया, इसके भी गवाह सभी रहे हैं। सियासत में मसखरी औऱ जात के नाम पर सत्ता के फार्मूले ने उनकी राजनीति को देखते ही देखते इतना बेमानी बना दिया कि अब उनके जख्मों पर मरहम लगाने वाला भी कोई नहीं।
नीतीश भी लालू की तरह जेपी के चेले रहे हैं, जेपी आंदोलन के दौरान ही उन्हें भी राजनीति की दीक्षा मिली है, लालू के साथ राजनीतिक दोस्ती में हमसफर रहे हैं औऱ अब राजनीतिक लड़ाई में विरोधी। लेकिन नीतीश के राज-काज का अंदाज लालू से बिल्कुल जुदा है, जिसके हम सभी गवाह रहे हैं। राजनीतिक बड़बोलेपन से दूर नीतीश सत्ता के लिए समझौतावादी सियासी बाजीगरी में बहुत हद तक यकीन नहीं करते, कुछ लोग इसे उनका पॉलिटिकल एरोगेंस कहते हैं, लेकिन बिहार जैसे पिछड़े राज्य में विकास के लिए ये एरोगेंस शायद जरूरी हो चला था।
इसलिए लालू के लिए शोकगीत गाने की जरूरत नहीं, क्योंकि उनके राजनीतिक ड्रामे का द एंड तो बहुत पहले हो चुका था, अभी तो बस इस पर वक्त की मुहर भर लगी है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
Hi I really liked your blog.
I own a website. www.catchmypost.com Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well.
We have social networking feature like facebook , you can also create your blog.
All of your content would be published under your name, and linked to your profile so that you can get all the credit for the content. This is totally free of cost, and all the copy rights will
remain with you. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner, literature and editorial section of our website and the content shared by different writers and poets. Kindly Reply if you are intersted in it.
Link to Hindi Corner : http://www.catchmypost.com/index.php/hindi-corner
Link to Register :
http://www.catchmypost.com/index.php/my-community/register
For more information E-mail on : mypost@catchmypost.com
Post a Comment