यहाँ आयलान सोया है
ये दुनिया का सबसे बड़ा मातम है...ये दुनिया का सबसे गमगीन कर देने वाला मर्सिया है....ये इंसानियत की मौत की सबसे दर्दनाक तस्वीर है...ये भरोसे के दुनिया से उठ जाने का शोकगीत है.....
समंदर की लहरें मचल रही हैं या खून के आंसू रो रही हैं...समंदर खामोश बह रहा है या उसका कलेजा दर्द से चाक हो गया है..
पता नहीं क्या हो रहा है...लेकिन आज ये समंदर आंसुओं का बन गया है...समंदर के खारेपन में आंसुओं का नमक घुल गया है
आज नन्हा आयलान कुर्दी...यहां चैन की नींद सो रहा है...हमेशा के लिए सो गया है तीन साल का मासूम...नफरत की दुनिया को छोड़कर फरिश्तों की दुनिया में चला गया है...
आयलन को नहीं मालूम कि मुल्कों की सरहदें इस कदर बेरहम बन जाएंगी कि मुल्क दर मुल्क भटकता हुआ वो इस कदर इस समंदर की पछाड़ खाती लहरों के आगे सो जाएगा...जैसे दिन भर खेलकूद कर थका बच्चा मासूमियत से मां की आगोश में सो जाता है....आयलान का कोई मुल्क नहीं हो सका ...एक अनजान मुल्क में समंदर ही उसकी मां बन गया औऱ समंदर ही पिता...रहने के लिए चार गज जमीन नहीं मिली...समंदर ने उसे अपने दामन में पनाह दी...तीन साल के आयलान को भला मालूम भी क्या होगा...तोतली जुबान से सिर्फ पापा औऱ अम्मी का नाम ही तो मुश्किल से ले पाता होगा...उसी आयलान को एक अनजाने मुल्क में छत नहीं मिली लेकिन मरने पर आसमान ही उसके लिए छत हो गया
आयलान कुर्दी को आप नहीं जानते ....या जानते भी होंगे तो फर्क क्या पड़ता है....सिवा इसके कि वो एक रिफ्यूजी बच्चा था..सीरिया का था..अपने मुल्क में कत्लोगारत से बचने के लिए उसका परिवार दर दर भटक रहा था...गैर मुल्क में ना बसेरा मिला औऱ जो मासूम जिंदगी जिसने महज तीन बसंत देखे थे वो भी छीन गई
आयलान कुर्दी को जिंदगी के नियम नहीं मालूम थे...इंसानियत के तकाजे भी भला क्या पता रहे होंगे...बमुश्किल तो उसने चलना सीखा होगा...तुतला कर बोलना शुरू ही तो किया होगा...पापा दफ्तर से आते होंगे तो कंधों पर झूल जाता होगा...मम्मा डांटती होंगी तो किसी और कमरे में छिप जाता होगा...आयलान की दुनिया फिर क्यों छीन ली....आज पूरी दुनिया का कलेजा चाक हुआ जाता है....
शर्म आती है इस हत्यारी व्यवस्था पर जहां कोई आयलान मुस्कुराना तो छोड़िए सलीके से जिंदगी जी भी नहीं सकता
समंदर की लहरें मचल रही हैं या खून के आंसू रो रही हैं...समंदर खामोश बह रहा है या उसका कलेजा दर्द से चाक हो गया है..
पता नहीं क्या हो रहा है...लेकिन आज ये समंदर आंसुओं का बन गया है...समंदर के खारेपन में आंसुओं का नमक घुल गया है
आज नन्हा आयलान कुर्दी...यहां चैन की नींद सो रहा है...हमेशा के लिए सो गया है तीन साल का मासूम...नफरत की दुनिया को छोड़कर फरिश्तों की दुनिया में चला गया है...
आयलन को नहीं मालूम कि मुल्कों की सरहदें इस कदर बेरहम बन जाएंगी कि मुल्क दर मुल्क भटकता हुआ वो इस कदर इस समंदर की पछाड़ खाती लहरों के आगे सो जाएगा...जैसे दिन भर खेलकूद कर थका बच्चा मासूमियत से मां की आगोश में सो जाता है....आयलान का कोई मुल्क नहीं हो सका ...एक अनजान मुल्क में समंदर ही उसकी मां बन गया औऱ समंदर ही पिता...रहने के लिए चार गज जमीन नहीं मिली...समंदर ने उसे अपने दामन में पनाह दी...तीन साल के आयलान को भला मालूम भी क्या होगा...तोतली जुबान से सिर्फ पापा औऱ अम्मी का नाम ही तो मुश्किल से ले पाता होगा...उसी आयलान को एक अनजाने मुल्क में छत नहीं मिली लेकिन मरने पर आसमान ही उसके लिए छत हो गया
आयलान कुर्दी को आप नहीं जानते ....या जानते भी होंगे तो फर्क क्या पड़ता है....सिवा इसके कि वो एक रिफ्यूजी बच्चा था..सीरिया का था..अपने मुल्क में कत्लोगारत से बचने के लिए उसका परिवार दर दर भटक रहा था...गैर मुल्क में ना बसेरा मिला औऱ जो मासूम जिंदगी जिसने महज तीन बसंत देखे थे वो भी छीन गई
आयलान कुर्दी को जिंदगी के नियम नहीं मालूम थे...इंसानियत के तकाजे भी भला क्या पता रहे होंगे...बमुश्किल तो उसने चलना सीखा होगा...तुतला कर बोलना शुरू ही तो किया होगा...पापा दफ्तर से आते होंगे तो कंधों पर झूल जाता होगा...मम्मा डांटती होंगी तो किसी और कमरे में छिप जाता होगा...आयलान की दुनिया फिर क्यों छीन ली....आज पूरी दुनिया का कलेजा चाक हुआ जाता है....
शर्म आती है इस हत्यारी व्यवस्था पर जहां कोई आयलान मुस्कुराना तो छोड़िए सलीके से जिंदगी जी भी नहीं सकता
आज आयलान के मातम में करोड़ों आंखें बरस रही हैं करोड़ों लोगों का सीना छलनी हुआ जाता है...लेकिन आयलान कभी इस नींद से नहीं जागेगा...वो तो दुनिया के रवैये से थककर हमेशा के लिए सो गया है.....
आयलान हो सके तो हमें माफ कर देना...हम तुम्हारे लायक नहीं थे...ये दुनिया तुम्हारे काबिल नहीं थी...जिंदगी तो चलती रहेगी...लेकिन वक्त के हाशिये पर समंदर किनारे तुम्हारी लाश हमेशा के लिए किसी ईसा की तरह सलीब पर टंगी रहेगी...याद दिलाती रहेगी हमें कि हम कितने मुर्दा दौर में जी रहे हैं जहां एक मासूम मरकर भी जिंदा है और हम जिंदा रहकर भी शर्मिंदा हैं
आयलान हो सके तो हमें माफ कर देना...हम तुम्हारे लायक नहीं थे...ये दुनिया तुम्हारे काबिल नहीं थी...जिंदगी तो चलती रहेगी...लेकिन वक्त के हाशिये पर समंदर किनारे तुम्हारी लाश हमेशा के लिए किसी ईसा की तरह सलीब पर टंगी रहेगी...याद दिलाती रहेगी हमें कि हम कितने मुर्दा दौर में जी रहे हैं जहां एक मासूम मरकर भी जिंदा है और हम जिंदा रहकर भी शर्मिंदा हैं